साराभाई भरेंगे किसानों के जीवन में खुशहाली के रंग

झारखंड के किसानों को मिला छह टन सब्जियों का आर्डर। सब्जियों को कोलकाता में आनलाइन एप्लीकेशन मेरा फैमिली फार्मर के जरिए बेचेंगे साराभाई।


साराभाई भरेंगे किसानों के जीवन में खुशहाली के रंग
संवादाता, स्तंभ न्यूज ।  टीवी कलाकार राजेश सिंह को कौन नहीं जानता। उनके मशहूर टीवी सीरियल साराभाई वर्सेज साराभाई में रोसेस साराभाई के किरदार को लोगों ने काफी पसंद किया था। आन स्क्रीन लोगों को हंसाने के बाद अब वह झारखंड के किसानों के जीवन में खुशहाली के रंग भरने जा रहे हैं। अपने स्टार्टअप मेरी फैमिली फार्मर के तहत बोकारो, धनबाद व गिरिडीह के किसानों से बाजार मूल्य से अधिक दाम पर सब्जियां खरीदेंगे। उन सब्जियों को कोलकाता में अपने आनलाइन एप्लीकेशन मेरा फैमिली फार्मर के जरिए बेचेंगे। इस काम में उनकी मदद बोकारो स्थित कृषि उत्थान के निदेशक रवि सिंह चौधरी कर रहे हैं। राजेश सिंह ने शुरुआती दौर में बोकारो, गिरिडीह व धनबाद जिला के कई कृषकों को करीब छह टन सब्जियों का आर्डर दिया है। राजेश सिंह का स्टार्टअप मुंबई में पिछले दो साल से चल रहा है। कई बालीवुड कलाकारों के घरों में उनके माध्यम से जैविक सब्जियां और फल भेजे जाते हैं।
किसी भी रसायन का नहीं किया जाता उपयाेग : रवि सिंह चौधरी ने बताया कि कृषि उत्थान किसान संगठन से बोकारो के चास, चंदनकियारी, धनबाद के निरसा, कतरास, बाघमारा व बरवअड्डा और गिरिडीह स्थित बिरनी के करीब 40-50 प्रगतिशील किसान जुड़े हुए हैं। जो गुड एग्रीकल्चर प्रैक्टिस (जीएपी) कर नान टाक्सिन सब्जियों का उत्पादन करते हैं। इसके अलावा ग्राहकों की मांग के अनुसार सब्जियों की उपज कराई जाएगी। लोगों के घरों में भेजी जाने वाली सब्जियों के बास्केट को इस तरह डिजाइन किया गया है कि उससे ग्राहकों को सब्जियों के पोषक तत्व एवं न्यूट्रीशन पूरी तरह मिल सके। एक बंच में करीब 16 किलो मिश्रित सब्जियां होंगी।
कैसे मिलेगा किसानों को मुनाफा : किसानों को सालभर औसतन फसल बेचने पर मुनाफा मिलेगा। मसलन कोई किसान टमाटर की खेती करता है तो आफ सीजन में उसे टमाटर का दाम 20 से 40 रुपये प्रतिकिलो थोक में मिलता है। जब सीजन होता है तो उसी टमाटर का दाम किसान को दो से दस रूपये के बीच में मिलता है। लेकिन कृषि उत्थान किसानों से साल भर जो भी कीमत तय होगी उसी दाम पर खरीदेगा। जिससे किसानों को एक निश्चित दाम उनके सब्जियों का मिलेगा। अगर टमाटर का दाम 20 रुपये तय हुआ तो किसान पूरे साल 20 रुपये में ही टमाटर संस्थान को बेचेगा। जिससे किसानों को औसतन मुनाफा सीजन के मुकाबले ज्यादा होगा। बोकारो जोधाडीह के किसान सोमनाथ गिरी ने बताया कि पहले उन्हें अपनी फसल को बेचने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ती थी। मंडी ले जाना, फिर मोलभाव करना रोज अगल-अलग दाम मिलता था। कृषि उत्थान संस्था से जुड़ने के बाद एक निश्चित मुनाफा साल भर मिलेगा। सबसे बड़ी बात संस्थान खेत से ही सब्जियों का उठाव करेंगी, जिस वजह से उन्हें सब्जियां बेचने के लिए मशक्कत नहीं करनी पड़ेगी। वहीं चंदनकियारी के किसान अचिंतो चौधरी का कहना है कि कृषि उत्थान उससे पूरे साल आलू व टमाटर 20 रुपये प्रतिकिलो की दर से खरीदेगी। पिछले तीन साल से इस संस्थान से जुड़ मुनाफा कमा रहे हैं। चास काशी झरिया के किसान शंकर महता ने बताया कि संस्थान के अलावा भी वह अपनी सब्जियां व फसल को बाजार के मांग अनुसार उचित दाम पर बेच सकते हैं। किसी प्रकार का दबाव नहीं है कि वह केवल संस्थान को सब्जियां बेचेंगे। मसलन अगर मेरे पास पांच एकड़ खेत है तो पूरे पांच एकड़ पर केवल टमाटर ही नहीं लगाएंगे। खेत को बांटते हुए मिश्रति खेती करेंगे। जिससे उन्हें दोनों तरफ से मुनाफा मिल सके। उन्होंने बताया कि जैविक सब्जियों के मानको को खरा उतारने के लिए उसकी बारीकी से जांच की जाती है।
कृषि उत्थान बोकारो के निदेशक रवि सिंह ने बताया कि बोकारो, गिरिडीह व धनबाद जिला के कई किसान प्राकृतिक व जैविक कृषि की तकनीक सीख रहे हैं। जबतक उचित मूल्य में उनके उत्पाद नहीं बिकेंगे, तबतक उनकी आमदनी नहीं बढ़ सकती। इस सोच के साथ कृषि उत्थान की यह पहल आने वाले समय में किसानों के लिए एक बड़ा समाधान साबित होगी। साथ ही कृषि उत्थान से जुड़े किसानों की उपज को उचित मूल्य मिलेगा। 

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