तालाब छोड़िए घर में करिए मछली उत्पादन

मलेशियन तकनीक बायोफ्लॉक को अपना तीन दोस्तों ने घर के खाली पड़े जगह में टैंक बनाकर तीन सौ किलो वियतनामी कोय मछली किया उत्पादन।


तालाब छोड़िए घर में करिए मछली उत्पादन
संवादाता, स्तंभन्यूज : अब सिर्फ तालाब में ही नहीं, घर में भी लोग मछली पालन कर सकते हैं। वह भी काफी कम खर्च व अल्प समय में ही अधिक मात्रा में मछली उत्पादन कर सकते हैं। इसके लिए मलेशियन तकनीक बायोफ्लॉक को चास के तीन दोस्तों सुनील कुमार, सोमनाथ गिरि एवं रूपेश कुमार ने अपनाया है। उन तीनों ने अपने घर के खाली पड़े जगह में चार फीट ऊंचा एवं चार मीटर व्यास का प्लस्टिक के तिरपाल से एक टैंक बनाकर पहली बार के प्रयास में सफलतापूर्वक दो सौ किलो वियतनामी कोय मछली उत्पादन किया, जो स्थानीय बाजार में ही खप गई। उससे हुए मुनाफे से वे तीनों अत्यधिक उत्साह से भर गए और अब दो टैंक बनाकर वियतनामी कोय व देसी सिंघी मछली का पालन कर रहे हैं। सोमनाथ ने बताया कि वितनामी कोय मछली की लोकल बाजार में खुदरा कीमत 500 से 600 प्रति किलो है। उन्होंने बताया कि बायोफ्लॉक विधि के जरिये एक टैंक से चार से पांच माह में ही तीन से चार सौ किलो मछली उत्पादन किया जा सकता है।
क्या होती है बायोफ्लॉक पद्धति : बायोफ्लॉक पद्धति मछली पालने की मलेशिया की आधुनिक एवं वैज्ञानिक तरीका है। इस पद्धति के तहत जब टैंक में मछली पाली जाती है तो मछलियों से जो मल निकलता है, उसे फ्लॉक (हेटेरोट्रॉफिक बैक्टीरिया )से प्यूरीफाई कर प्रोटीन में बदल देती है, जिसे टैंक में डाली गईं मछलियां खा लेती हैं। इससे मछलियों को देने वाले फीड की भी नाममात्र की आवश्यकता पड़ती है और काफी तेजी से बढ़ती है। बायोफ्लॉक टैंक में मछलियों को एयर पंप के माध्यम से 24 घंटे ऑक्सीजन की आपूर्ति की जाती है। टैंक बनाने के लिए घर या खेत में थोड़ी सी जगह की आवश्यकता होती है, जहां चार फीट ऊंचा एवं चार मीटर व्यास के बराबर टैंक बनाया जा सके। टैंक आवश्यकता के अनुरूप बड़ा भी बनाया जा सकता है। बायोफ्लॉक विधि में टैंक में डाले गए पानी को साफ करने के लिए किसी प्रकार के केमिकल की जरूरत नहीं पड़ती। इस विधि से उत्पादित मछली पूरी तरह जैविक होती है। इसलिए बाजार में बेचे जाने पर कीमत अधिक मिलती है।
कौन-कौन सी मछली कर सकते उत्पादन : बायोफ्लॉक पद्धति से वियतनामी कोय, देसी सिंघी, मांगुर, प्रॉन, पंगेसियस, अमेरिकन रेहूतेलपीवा मछली का उत्पादन सफलतापूर्वक किया जा सकता है। अन्य मछलियों की प्रजाति का भी उत्पादन इस विधि से करने के लिए अभी शोध चल रहा है। बायोफ्लॉक पद्धति से मछली उत्पादन करने वाले सोमनाथ जहां एमसीए की पढ़ाई कर चुके हैं, वहीं सुनील स्नातक कर बोकारो स्टील प्लांट में कार्यरत है। रूपेश बीटेक की पढ़ाई कर रहा। उक्त तीनों ने बताया कि उन लोगों ने नवंबर-2019 में यूट्यूब में बायोफ्लॉक पद्धति से मछली उत्पादन होते हुए देखा था। उसके बाद उन तीनों ने उसे अमल में लाने के निर्णय लिया। चास में चंदनक्यारी रोड स्थित साेमनाथ के घर में एक साथ मिलकर टैंक बनाया और मछली उत्पादन करना शुरू कर दिया।

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