एग्रो टूरिज्म की ओर बढ़ रहे झारखंड के किसान

अब एग्रो टूरिज्म के जरिए झारंखड की संस्कृति के दर्शन कर कर सकेंगे। बेरमो अनुमंडल के पेटरवार में एग्रो टूरिज्म के तहत एक विशेष फार्म तैयार किया जा रहा है, जहां शहर की भागदौड़ भरी जिंदगी से दूर सुकून के कुछ पल लाेग बिता सकेंगे।


जैविक खेती देखने और तालाब में मछली मारने का उठा सकेंगे लुत्फ

स्तंभ न्यूज, संवाददाता। 
अब एग्रो टूरिज्म के जरिए झारंखड की संस्कृति के दर्शन कर कर सकेंगे। बेरमो अनुमंडल के पेटरवार में एग्रो टूरिज्म के तहत एक विशेष फार्म तैयार किया जा रहा है, जहां शहर की भागदौड़ भरी जिंदगी से दूर सुकून के कुछ पल लाेग बिता सकेंगे। साथ ही झारखंड की संस्कृति से रूबरू हो सकेंगे। उस फार्म में आने वाले पर्यटकों को जैविक खेती एवं बतख फार्मिंग देखने के अलावा तालाब में मछली मारने का लुत्फ उठाने का भी मौका मिलेगा। साथ ही जड़ी-बूटियों की पहचान और उसके लाभ जानने के अलावा झारखंड के आदिवासियों की संस्कृति से अवगत हाेने का अवसर मिलेगा। टैराकोटा युक्त आदिवासियों के घरों की झलक भी देखने को मिलेगी। उस घर में लोग ठहरने के साथ ही अपना मनपसंद भोजन पकाकर खाते हुए पूरी तरह से गांव की मस्ती का आनंद ले सकते हैं। यहां लोग सपरिवार आकर प्रकृति से जुड़ाव महसूस करने के अलावा अपने बच्चों को भी प्रकृति से प्रेम करना सिखा सकते हैं।

एग्रो टूरिज्म फार्म की विशेषता व उपयोगिता : बड़े शहरों में हवा-पानी दूषित हो रहा है। ऐसे में एग्रो टूरिज्म का चलन काफी तेजी से बढ़ रहा है। एग्रो टूरिज्म यानी कृषि पर्यटन के तहत खेती-किसानी से जुड़ी गतिविधियों और कृषि की प्राचीन विरासत से पर्यटकों को रूबरू कराया जाता है। एग्रो टूरिज्म के तहत कृषि से संबंधित गतिविधियों एवं कृषि की प्राचीन विरासत को पर्यटकों के समक्ष मनोरंजक तरीके से प्रस्तुत किया जाता है। इसके तहत पर्यटकों को खेतों के बीच ले जाकर प्राकृतिक माहौल में फसलों देखने एवं उपयो करने का अवसर प्राप्त होता है।

खेती-बाड़ी कि गतिविधियां देख व सीख सकते : एग्रो टूरिज्म फार्म में लोग खेती-बाड़ी की गतिविधियां देख व सीख सकते हैं। किसानों के बीच रहते हुए तालाब में नहा सकते हैं। अपने हिसाब से खा-पीकर प्रकृति की गोद में समय व्यतीत कर सकते हैं। यहां एग्रो टूरिज्म का जो थीम होगा वह आर्गेनिक फार्मिंग पर होगा, जिसमें किसी प्रकार के केमिकल का उपयोग नहीं होगा। साथ में इंटीग्रेटेड फार्मिंग होगा, जो तीन माह में बनकर तैयार हो जाएगा।

गांव के परिवेश का यहां होगा अहसास : एग्रो टूरिज्म फार्म गांव के परिवेश का अहसास होगा। इसके परिसर में रात को लालटेन की रोशनी और दिन में बैलगाड़ी पर चढ़ने के साथ ही कुआं से रस्सी-बाल्टी के सहारे पानी भरने के अलावा मड़ई, गोहाल आदि भी देखने को मिलेगा। यहां लोगों को अपने काटेज के पास चार कट्ठे का इंडिपेंडेंट बारी भी मिलेगा, जिसमें अपनी इच्छा अनुसार जैविक तरीके से खेती कर सकेंगे, जिससे उपजी फसलों को लोग वहां रहते हुए उपयोग करने के साथ ही अपने घर भी ले जा सकेंगे।

जैविक खेती का दिया जाएगा प्रशिक्षण : जो युवा किसान अपना करियर खेती में बनाना चाहते हैं, उनको एग्रो टूरिज्म फार्म में आवासीय सुविधा के साथ जैविक खेती करने का प्रशिक्षण दिया जाएगा। साथ ही आसपास के गांव के लोगों को प्रशिक्षण देकर यहां कार्य दिया जाएगा। गांव की महिलाओं को भी प्रशिक्षण देकर रोजगार दिया जाएगा। महिलाओं को फुट मसाज, बाडी मसाज एवं मड बाथ करने के अलावा ट्रेडीशनल भोजन पकाने को प्रशिक्षित किया जाएगा।
एग्रो टूरिज्म सीधे तौर पर पर्यटकों को कृषि से जोड़ता है। साथ ही यह किसानों को खेती से होने वाली आय के अतिरिक्त आजीविका के नए स्रोत उपलब्ध कराता है। एक ही कैंपस में जैविक खेती से लेकर डेयरी और रहने की सुविधा मुहैया होती है। झारखंड राज्य में यह पहला स्थल होगा, जहां पर्यटक कम खर्च में ग्रामीण जीवन को जीने का अहसास कर सकेंगे।

पंकज राय, संस्थापक, किसान प्रो उत्पादक संगठन

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