स्मार्ट फोन ने बदली किस्मत, लखपति बन रहे किसान
जो किसान फोन चलाना नहीं जानते थे आज वाट्सएप से जुड़ कमा रहे लाखों। अपनी आय दो से चार गुना कर सफलता का मीठा-मीठा चख रहे स्वाद।
संवादाता, स्तंभ न्यूज : अगर
कोई बच्चा पढ़ाई में अच्छा नहीं होता है तो अक्सर हम कहते हैं जाओ खेती
करो। खेती को हमेशा से ही गांव वालों का ही पेशा माना गया है, लेकिन बोकारो
जिले के किसानों का मानना है कि खेती में आगे बढ़ने के लिए पढ़ा-लिखा होना
बेहद जरूरी है। जो किसान फोन चलाना नहीं जानते थे, वे आज वाट्सएप से अपनी आय दो से चार गुना कर सफलता का मीठा-मीठा स्वाद चख रहे हैं। इस सफलता के पीछे वाट्सएप ग्रुप एवं स्मार्ट फोन है। इस ग्रुप में कई किसान एवं कृषि वैज्ञानिक खेती-बारी के आधुनिक एवं स्मार्ट तकनीक से जुड़े
अपने अनुभव को किसानों के बीच शेयर करते हैं। कृषि उत्थान और कृषि उद्यमी
दोनों ही ग्रुप बोकारो जिले के किसानों को खेती की नई विधि एवं जैविक खाद
से खेती करने के बारे में जानकारी उपलब्ध कराते हैं, वह भी निश्शुल्क। कृषि
उद्यमी ग्रुप से जुड़े
किसान सत्यदेव महतो अपने खेत में टमाटर, खीरा, करेला एवं बैंगन की तीन
गुना पैदावार बढ़ाने में कामयाब रहे वह, भी बिना किसी रासायनिक खाद के।
पूरी तरह से जैविक विधि से खेती कर सत्यदेव महतो ने बताया पहले तीन एकड़ में मात्र चालीस से पचास हजार रुपये का मुनाफा होता था, लेकिन ग्रुप से जुड़ने
के बाद खेती की बारीकियों को समझने और उसका प्रयोग खेत में करने के बाद
परिणाम बहुत ही अच्छा निकला। अब सालाना आय 2 से 2.5 लाख के आसपास हो रही
है। इसी तरह ग्रुप से जुड़े सुजोत महतो का कहना है कि ग्रुप में जुड़ने का सबसे बड़ा फायदा यह मिला कि कम लागत और कम मैनपावर में फसलों की अच्छी पैदावार की जाती है।
स्मार्ट फोन की नहीं थी जानकारी :
सत्यदेव को स्मार्ट फोन चलाना नहीं आता था। उनके पास पुराना छोटा सा
मोबाइल फोन था, जिस पर केवल वह फोन सुनते और करते थे। एक बार पेटरवार में
कई प्रगतिशील किसानों से मिलने पर पता चला कि बहुत सी जानकारी वाट्सएप पर मिल जाती है। बस, सत्यदेव ने भी वाट्सएप के लिए स्मार्ट फोन खरीदा और वाट्सएप सीख ग्रुप से जुड़ गए। ग्रुप से जुड़ने
के बाद उन्होंने ग्रुप में अपनी समस्या रखी, जिसके बाद उन्हें पता चला कि
उनका क्षेत्र सब्जी की खेती के लिए सबसे उपयुक्त है। कई विशेषज्ञ एवं
अनुभवी किसानों से मिली जानकारी सत्यदेव को काफी काम आई, जिसका प्रयोग करने
के बाद अब उनकी गिनती सफल किसानों में की जाती है।--ऐसे मिलती है मदद : कृषि उद्यमी ग्रुप के एडमिन पंकज कुमार का कहना है कि पहले वे बैंकिग सेक्टर में काम करते थे, लेकिन खेती में दिलचस्पी होने की वजह से खेती में हाथ आजमाया। उस दौरान कई वैसे किसानों से मुलाकात की, जो खेती में मिसाल कायम कर चुके थे। उनके अनुभव का फायदा उठाने के लिए उनके साथ वाट्सएप से जुड़ गए। इसी तरह कई कृषि वैज्ञानिकाें के साथ भी जुड़े रहे। फिर मन में ख्याल आया कि क्यों न सभी को एक साथ जोड़ दिया जाए। बस ग्रुप का गठन कर सभी को जोड़ उनसे अपनी समस्या का एक साथ हल लेता था। इसी तरह समस्या और समाधान को देखते हुए कृषि उद्यमी ग्रुप बना, जो किसानों को जोड़ता चला गया। मात्र 10 लोगों से शुरू किए गए उक्त ग्रुप में आज 150 से अधिक लोग जुड़ चुके हैं। यह ग्रुप केवल बोकारो जिला तक ही सीमित नहीं है। उसमें झारंखड सहित देश-विदेश के लोग भी जुड़े हुए हैं, जो अपना अनुभव किसानों से शेयर करते हैं। दोनों वाट्सएप ग्रुप का मकसद एक ही है। ग्रुप के माध्यम से किसानों को खेती की आधुनिकता से परिचय कराकर उसे हकीकत में तब्दील किया जाता है।
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