बेरमो की बंद दो कोलियरी व एक परियोजना होगी चालू

बेरमो की बंद दो कोलियरी व एक परियोजना होगी चालू


बेरमो की बंद दो कोलियरी व एक परियोजना होगी चालू
- पिछरी कोलियरी में 23 मिलियन टन व अंगवाली में 20 मिलियन टन कोयले का भंडार
- डीआर एंड आरडी से हो सकेगी 1415 मिलियन टन प्राइम कोकिंग कोल की निकासी

जागरण संवाददाता, बेरमो :

बेरमो की बंद पड़ी दो कोलियरी व एक परियोजना शीघ्र ही चालू  होगी। उनमें पिछरी कोलियरी का ऑनलाइन उद्घाटन मुख्यमंत्री रघुवर दास ने करगली ग्राउंड में आयोजित जनसभा के दौरान मंच से ही किया। उनके साथ सीसीएल के सीएमडी गोपाल सिंह भी थे। सीएमडी ने घोषणा कि पिछरी कोलियरी के बाद अंगवाली कोलियरी व डीआर एंड आरडी परियोजना का उद्घाटन मुख्यमंत्री तीन माह बाद करेंगे। पिछरी कोलियरी में 23 मिलियन टन व अंगवाली में 20 मिलियन टन कोयले का भंडार है। वहीं डीआर एंड आरडी के चालू होने से 1415 मिलियन टन प्राइम कोकिंग कोल की निकासी हो सकेगी।

17 वर्ष से पिछरी तो अंगवाली माइंस 30 वर्षों से बंद : सीसीएल ढोरी प्रक्षेत्र अंतर्गत पिछरी कोलियरी पिछले 17 वर्षों से तो अंगवाली कोलियरी लगभग 30 वर्षों से बंद पड़ी है। हालांकि उक्त दोनों कोलियरियों को चालू कराने के लिए सीसीएल प्रबंधन ने कई बार प्रयास किया, लेकिन विस्थापितों का आंदोलन आड़े आने के कारण चालू नहीं हो पाया। अंगवाली कोलियरी के लिए 210 एकड़ जमीन पूर्व में अधिग्रहित की गई थी। उक्त  जमीन के अधिकतर रैयतों को नियोजन व मुआवजा दिया जा चुका है, लेकिन फिलहाल डेढ़ दर्जन रैयत सह विस्थापित नियोजन व मुआवजा की मांग करते हुए आंदोलनरत हैं। वहीं पिछरी कोलियरी के विस्तार के लिए 500 एकड़ जमीन अधिग्रहण करने के लिए सीसीएल की ओर से अधिसूचना जारी की गई है। संबंधित रैयतों से सत्यापन के लिए जमीन के कागजात लिए गए हैं। उक्त रैयत यह कहते हुए अड़े हुए हैं कि जबतक जमीन के एवज उन सबको नियोजन, मुआवजा व पुनर्वास नहीं मिलेगा, तबतक पिछरी कोलियरी को चालू नहीं होने देंगे।
 
37 वर्षों से अधर में लटकी डीआर-आरडी : सीसीएल बीएंडके प्रक्षेत्र की महत्वाकांक्षी दामोदर नदी रेल विपथन परियोजना (डीआर एंड आरडी) पिछले 37 वर्षों से अधर में लटकी हुई है। जबकि इस परियोजना के लिए अधिग्रहीत भूमि के एवज नियोजन पाने वाले 631 विस्थापित अब रिटायरमेंट की अवस्था में हैं। जरीडीह, चलकरीघुटियाटांड के लगभग हजारों हेक्टेयर जमीन पर 1415 मिलियन टन प्राइम कोकिंग कोल निकालने के लिए यह परियोजना 1982 में शुरू की गई थी। इसके लिए दामोदर नदी एवं गोमो-बरकाकाना रेलमार्ग का स्थान परिवर्तित करने की योजना बनी। उस समय 200 करोड़ की योजना अचानक अधर में ऐसी लटकी कि वर्तमान समय में इसकी लागत कई अरब रुपये तक पहुंच गई है।

चलकरी में की जाएगी कोयले की निकासी  : डीआर एंड आरडी परियोजना का क्षेत्रफल काफी वृहद है, लेकिन शुरूआत के तहत फिलहाल चलकरी स्थित 1097 हेक्टेयर जमीन पर 69.26 मिलियन टन कोयले के भंडार की निकासी का काम करने की योजना बनाई गई है। उसके तहत 4 मिलियन टन प्रतिवर्ष कोयला निकाला जाना है। इस परियोजना के 1415 मिलियन टन कोयले के भंडार से अंदाजा लगाया जा सकता है कि इससे एक सौ वर्ष से अधिक अवधि तक कोयला निकाला जा सकता है।


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